ग्रामीण विकास में कौशल विकास की भूमिका एवं अपेक्षाओं का अवलोकनार्थ अध्ययन (फैजाबाद (अयोध्या) जिला के विशेष संदर्भ में)

 

अर्जुन कुमार मौर्य1, जय शंकर शुक्ल2

1सहायक आचार्य (वाणिज्य संकाय), संत तुलसीदास पी.जी. कालेज, कादीपुर सुलतानपुर (.प्र.)

2विभागाध्यक्ष, वाणिज्य संकाय, कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान, सुलतानपुर (.प्र.)

*Corresponding Author E-mail:

 

ABSTRACT:

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई), भारत सरकार की एक अग्रणी परिणामोन्मुखी कौशल प्रशिक्षण योजना है। इस कौशल प्रमाणन और पुरस्कार योजना का उदेश्य बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं की दक्षता प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु समर्थ बनाना तथा जुटाना है ताकि वे रोजगार प्राप्त कर सकें और अपनी आजीविका का अर्जन कर सकें। देश में विशेषतः युवा वर्ग के कौशल विकास पर ध्यान दिया जाय तो ग्रामीण विकास साधा जा सकता है। भारत सरकार का केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय इस हेतु विशेष प्रयास कर रहा है। कौशल विकास की अनेक गतिविधियाॅं, कार्यक्रम और योजनाओं को प्रयोग में लाया जा रहा है। केन्द्रीय बजट में इसके लिए बडी धनराशि का प्रावधान किया गया है। कौशल विकास से लाभान्वित ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा तो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी ग्रामीण विकास में कौशल विकास महźवपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

KEYWORDS: ग्रामीण विकास, कौशल विकास योजना, प्रशिक्षण, भारतीय अर्थव्यवस्था।

 

 


प्रस्तावना %&

ग्रामीण विकास ही राष्ट्र की प्रगति का आधार हो सकता है। ग्रामों की संपन्नता और समृद्धता ही देश की अर्थव्यवस्था को सही मायने में सशक्त बना सकती है। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का बड़ा हिस्सा है जिसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था कहना उचित होगा। देश की ळक्च् में ग्रामीण भागों का बड़ा योगदान होता है। ग्रामीण विकास के लिए गावों में रोजगार सृजन करने के लिए स्थानीय युवा वर्ग को रोजगार प्रदान करना आवश्यक है। देश की बेरोजगारी की अवस्था चिंताजनक हैं। बेरोजगारी का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रो से संबंधित है। कुशल श्रमिक एक श्रमशक्ति है जिसे मानव संसाधन कहते है। ग्रामीण युवा वर्ग को कुशल मानव संसाधन बनाने के लिए सरकारी प्रयासों का अवलोकन आवश्यक है। भारत विश्व का सबसे युवा राष्ट्र है। बड़ी संख्या में उपलब्ध युवा वर्ग को रोजगार की दृष्टि से कुशल बनाना, प्रशिक्षित करना, उनमें उद्यमिता विकसित करना प्रत्येक सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

 

प्रस्तुत निबंध का उद्देश्य कौशल विकास योजना का अध्ययन करना है जिससे भविष्य में युवाओं के लिए रोजगार और उद्यमिता के अवसरों में वृद्धि हो सके। कौशल से आशय, ऐसा ज्ञान और क्षमता से है जो किसी कार्य को करने में विशेषज्ञता प्रदान करती है।

 

रोजगार प्राप्ति में कुशलता आवश्यक है। कौशल विकास से आशय, व्यक्ति में विशिष्ट कार्य करने के लिए विशिष्ट निपुणता, योग्यता एवं क्षमता को विकसित करने के लिए ज्ञान एवं प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया है।

 

योजना आयोग के अनुसार ऐसा भौगोलिक भाग जहां की जनसंख्या 15000 से कम हो उसे ग्रामीण क्षेत्र कहते है। नेशनल सैम्पल सर्वे आॅर्गनाईजेशन के अनुसार ग्रामीण भाग वह है -

1) जहाॅ की जनसंख्या 400 वर्ग किलोमीटर में बसी हो,

2) उस भाग की सीमा निश्चित हो,

3) जहां की कम से कम 75 प्रतिशत पुरूष जनसंख्या कृषि कार्यो में संलग्नित हो।

 

सरकारी योजना और उसकी आवश्यकता:

कौशल विकास वर्तमान केन्द्रीय सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। कौशल भारत के उद्देश्य है-

1. कौशल विकास के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना का निर्माण करना।

2. व्यावसायिक कुशलता तथा रोजगार अनुकुल प्रशिक्षण देना।

3. कुशल मानव संसाधन (श्रमशक्ति) का निर्माण करना।

 

सरकार का केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय कौशल विकास कार्यक्रम और कुशल भारत अभियान के लिए उत्तरदायी है।

 

इस योजना की अपेक्षा है, युवा वर्ग की शक्ति और कौशल का उपयोग केवल स्थानीय और राष्ट्रीय श्रम बाजार तक ही सीमित ना हो बल्कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम बाजार में भी उनकी मांग हो जिसके लिए उनमें योग्यता, क्षमता एवं कुशलता का विकास करना आवश्यक है। भारत कुशलता की राजधानी बने, ग्रामीण विकास में कौशल विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभाए इस दृष्टि से केन्द्रीय सरकार प्रयत्नशील है। कौशल विकास योजना और कार्यक्रमों के लिए ग्रामीण भागों में काफी संभावनाए और क्षमताए है। ग्रामीण क्षेत्रो से निर्यात में वृद्धि की जा सकता है। निर्यातित वस्तुओं के निर्माण में इस योजना और कार्यक्रमों से कौशल विकास होगा। विशेषतः ग्रामीण क्षेत्रों से हस्तकला, कुटीर उद्योग, हस्तोद्योग, कपड़ा निर्माण, पेड़ पौधो से औषधि निर्माण आदि का अंतर्राष्ट्रीय निर्यात किया जा सकता है। इसके लिए किए गये प्रयत्न यशस्वी होते दिख रहे है। मेक इन इंडिया कार्यक्रम से रोजगार निर्माण होगा, जिसके लिए कौशल विकास परक सिद्ध होगा। भारत सरकार ने रोजगार सृजन के लिए विदेशी कंपनियो के आगमन को आकर्षित करने के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ;थ्क्प्द्ध के नियमों और प्रावधानों को उदार बनाया है। इससे देश में कुशल श्रम शक्ति का उपयोग बढ़ेगा उनकी आय में वृद्धि होगी जो देश की ळक्च् बढ़ाने मे ंसहायक होगी।

 

केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में ग्रामीण बेरोजगारी का प्रतिशत 5 से अधिक है। बढ़ती बेरोजगारी गंभीर समस्या की चेतावनी दे रही है। विश्व के सबसे युवा देश जहाॅ दुनिया में सबसे अधिक युवाओं की संख्या हो वहां उनको रोजगार ना मिल पाना युवाशक्ति एवं क्षमता का व्यय होना है, युवा वर्ग की अधिक आबादी जहां देश के लिए वरदान है वही इनका उपयोग नही होने पर यह देश के लिए अभिशाप बन जायेगी, इस दृष्टि से कौशल भारत योजना अत्यंत प्रासंगिक और उपयोगी सिद्ध होगी। अब इसकी सफलता और यश के लिए सरकारी गैर-सरकारी प्रयत्नों की अत्यंत आवश्यकता है।

 

 

शोध क्षेत्र:-

किसी भी शोध अध्ययन के व्यवस्थित अध्ययन के लिये उसके क्षेत्र का निवर्हन भी करना चाहिए। क्षेत्र का निर्धारण आवश्यकता और उपयुक्तता के आधार पर किया जाता है। यदि शोध का क्षेत्र छोटा होगा तो हो सकता है कि वह शोध अध्ययन के निष्कर्षो से काफी दूर हो जाय। अर्थात् निष्कर्ष विश्वसनीय नहीं रह जाते और यदि शोध क्षेत्र व्यापक हो तो इसे समय औंर श्रम की अत्यधिक आवश्यकता पड़ती है तथा आर्थिक साधन भी बहुत अधिक खर्च करने पड़ते है।

 

चूँकि शोधार्थी का अध्ययन क्षेत्र फैजाबाद (अयोध्या) जिले को लिया गया है। फैजाबाद (अयोध्या) जिले में उत्खनन के कारण घनत्व है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार फैजाबाद (अयोध्या) जिले की जनंसख्या 2088928 है। वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर लिंगानुपात 962 है। इसका तात्पर्य यह है कि कुल जनसंख्या 2470996 में पुरूषो की संख्या 1259628 एवं महिलाओं की संख्या 1211368 है। फैजाबाद (अयोध्या) जिले में जनसंख्या का घनत्व 1056 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. है। फैजाबाद (अयोध्या) जिले में राज्य की कुल जनसंख्या का 3.03 प्रतिशत भाग रहता है। वर्ष 2001-2011 की जनसंख्या में वृद्धि प्रतिशत जिले में 18.29 प्रतिशत है एवं साक्षरता दर 68.73 प्रतिशत है।

 

पूर्व शोध की समीक्षा:-

कौशल विकास योजना के संबंध में अनेक शोधार्थियों द्वारा शोध किया गया है। किन्तु लगभग सभी शोधार्थियों ने कौशल विकास योजना का क्रियान्वयन उनके परिणामों आने वाली समस्या एवं समाधान के उपायो पर गहनता से अध्ययन नहीं किया प्रस्तावित शोध अध्ययन में कौशल विकास योजना का रोजगार के अवसरों के सृजन में योगदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन कर वास्तविक परिणामों को जानने का प्रयास किया जाएगा एवं समाधान के उपायो पर भी विस्तृत प्रकाश डाला जाएगा।

 

पटेल और निमिष शाह (2014) ने अपने अध्ययन में रोजगार के बेहतर अवसरों के लिए व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की। वैश्वीकरण ने तकनीकी शिक्षा के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है। आगे सबसे बड़ी चुनौती कॉर्पोरेट जगत को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों की आपूर्ति करना था। स्नातक स्तर के छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और उभरती हुई तकनीक के ज्ञान की कमी है और इसलिए, उन्होंने तेजी से बदलते परिवेश में रोजगार में कठिनाइयों का सामना किया। व्यावसायिक तकनीकी शिक्षा (टज्म्) कौशल और शिक्षार्थियों की दक्षता विकसित की जानी है। भारत में बेरोजगारी अनुपात ने खतरनाक अनुपात हासिल कर लिया है। इसके अलावा, उद्देश्य शैक्षिक अवसरों के विविधीकरण के लिए प्रदान करना है, व्यक्तिगत रोजगार की क्षमता को बढ़ाना और कुशल श्रमशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को कम करना है।

 

श्रीवास्तव (2007) ने कहा है कि उच्च शिक्षा के वैश्वीकरण के कारण, तीसरी दुनिया के देशों में उच्च शिक्षा हाल के वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ रही है। भारत से अधिकांश छात्र उच्च अध्ययन के लिए और विदेशी भाषा कौशल में सुधार करने और अवसरों को प्राप्त करने के लिए विदेश जा रहे हैं। व्यवसाय से संबंधित ज्ञान और कौशल के साथ बड़ी संख्या में उच्च विद्यालयों का विस्तार करना आवश्यक है। लेखक ने आगे तर्क दिया कि राष्ट्र के रोजगार योग्य कौशल को बढ़ाने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। यह वैश्विक स्तर पर छात्रों की नौकरी, आत्मरक्षा और सशक्तीकरण के लिए उपयोगी है और संस्थाओं और अनुसंधानों के बीच आदान-प्रदान और जुड़ाव, पाठ्यक्रम और कार्यक्रमों के अंतर्राष्ट्रीय विपणन में वृद्धि, पूरे देश में शैक्षणिक संस्थानों के बीच शिक्षा सहयोग के लिए स्थापना तंत्र बनाई गई है। इसलिए, ऐसा लगता है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली अन्य देशों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने और साझेदार बनाने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा रही है।

 

जैन (2007) ने कहा है कि भारत में उच्च शिक्षा का निजीकरण और शैक्षिक प्रणाली जीवंत लोकतंत्र की मांगों को पूरा करती है और इसे व्यापार के बजाय सामाजिक सेवा माना जाता है। इस प्रकार, तकनीकी रोजगार उन्मुख पाठ्यक्रमों के लिए विकास की मांग को पूरा करने के लिए, सरकार ने निजी संस्थानों को शिक्षा क्षेत्र में आने की अनुमति देने और शिक्षा में अधिक निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कहा और निजी प्रणाली बेहतर प्रबंधन के लिए मदद कर सकती है। लेकिन, निजीकरण लाभ के उद्देश्य की ओर निजी संस्कृति लाएगा और यह महंगा होगा जहां फीस का भुगतान गरीब छात्रों द्वारा नहीं किया जा सकता है। तो, उच्च शिक्षा केवल अमीर और उच्च वर्ग के लोगों तक ही सीमित होगी।

 

दिव्याथोमूर्ति (2013) ने स्पष्ट किया है कि गांधीवादी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य यह है कि इससे व्यक्ति को बाद के जीवन में स्वावलंबी बनने में मदद मिल सके। इसके अलावा, सच्ची शिक्षा को अज्ञानता और अंधविश्वास से छात्रों को साक्षर करना चाहिए और स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान के गुण की खेती करनी चाहिए। अंत में, लेखक का निष्कर्ष है कि शिक्षा बेरोजगारी के खिलाफ एक बीमा है और इसका मतलब केवल व्यक्तिगत विकास, बल्कि विकास अर्थव्यवस्था भी है।

 

चंद्र बोस (2013) ने बताया है कि शैक्षिक प्रणाली में सुधार जैसे कि सामग्री इक्विटी और उत्कृष्टता पाठ्यक्रम के अभिन्न अंग के रूप में कौशल प्रशिक्षण बनाने की आवश्यकता होगी। शिक्षा के संबंध में वैश्वीकरण का एक महत्वपूर्ण घटक उच्च गुणवत्ता वाली जनशक्ति के उत्पादन की आवश्यकता है जो दुनिया के बाजारों में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकता है। इस प्रकार, वैश्वीकरण का शिक्षा प्रणाली पर एक बहुआयामी प्रभाव है। इसने सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए विशेष संदर्भ के साथ शैक्षिक प्रणाली में सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित किया है। अंत में, अंतर-क्षेत्रीय प्राथमिकताओं में बदलाव लाने से संबंधित विवादों को भी जन्म दिया है, जो माध्यमिक और उच्च शिक्षा के डाउन-मिडिज्ड नीति और आने वाली पीढ़ियों के लिए छात्रों के वैश्विक शैक्षिक बाजार में किसी भी विचारहीन प्रवेश के लिए अग्रणी है।

 

शोध प्रविधि:-

शोध या अन्वेषण किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए किया जाता है। ज्ञान की किसी भी शाखा में ध्यानपूर्वक नये तथ्यों की खोज के लिए किये गये अन्वेषण या परिक्षण को अध्ययन कहते है। ज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य अपरिहार्य है।

 

शोध कार्य में कौशल विकास योजना का रोजगार के अवसरों के सृजन में योगदानसे सम्बन्धित वास्तविक एवं विश्वसनीय आकड़ो को प्राप्त करने के लिये प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों प्रकार के आकड़ों को एकत्र कर पूर्ण किया गया है। प्राथमिक आकड़े स्वयं कार्य स्थल पर जाकर मूल स्रोतो से एकत्र किये गये हैं। जबकि द्वितीयक आंकड़े कौशल विकास योजना का रोजगार के अवसरों के सृजन में योगदानकी समस्या से संबंधित विभिन्न प्रकाशित-अप्रकाशित पुस्तकों, शोध पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, शासकीय प्रतिवेदनों आदि से एकत्र कर प्रयोग किये गये हैं। इसके अतिरिक्त लाइब्रेरी, एवं इंटरनेट आदि का भी आकड़ें एवं विषय वस्तु से संबंधित स्टडी मटेरियल एकत्र करने में प्रयोग किया गया है।

 

शोध उद्देश्य:-

इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, भारत सरकार की विभिन्न कौशल विकास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा जारी किए गए कॉमन नॉर्म्स 4 के अनुसार पूरे देश में युवाओं के लिए कौशल विकास को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना है। योजना के तहत दिए जाने वाले पाठ्यक्रम राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (छैफथ्) के अनुरूप हैं। कौशल विकास योजना के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:

 

1.     राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मोर्चों में शिक्षित बेरोजगारी की बुराइयों को जानना।

2.     भारत में कौशल विकास योजना की प्रगति का अध्ययन करना।

3.     फैजाबाद (अयोध्या) जिले में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन या कौशल विकास योजना के कार्यान्वयन के लिए रोजगार सृजन आय और परिसंपत्ति निर्माण पर इसके प्रभाव का अध्ययन करना।

4.     जिले में लाभार्थियों के पुनर्भुगतान व्यवहार की जांच करना।

5.     कौशल विकास योजना के लाभार्थियों की अपेक्षाओं का अध्ययन करना। जहां तक भविष्य में कौशल विकास योजना का आकार है।

6.     क्षेत्र के ग्रामीण युवाओं की सामाजिक-जनसांख्यिकी विशेषताओं का अध्ययन करना।

7.     पूर्वाग्रह के प्रति ग्रामीण युवाओं के दृष्टिकोण के स्तर का आंकलन करना।

8.     विभिन्न पुनर्योजी अवसरों के बारे में जागरूकता के स्तर की पहचान करना।

9.     उपयुक्त प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का विश्लेषण और युक्ति करना और ग्रामीण युवाओं के विकास में विभिन्न संगठनों की भूमिका की जांच करना।

10.    फैजाबाद (अयोध्या) क्षेत्र के संभावित क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमिता के लिए व्यवसाय योजना का विकास करना।

11.    वर्तमान एवं उभरती हुई बाजार आवश्यकताओं के लिए प्रासंगिक उच्च गुणवत्ता वाला कुशल कार्यबल विकसित करना।

12.    सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं तथा लाभवंचित समूहों के लिए जीवनपर्यन्त कौशल प्राप्त करने हेतु अवसरों का सृजन करना।

13.    कौशल विकास पहलुओं को अंगीकार करने में सभी हितधारकों ;ैजंामीवसकमतेद्ध की वचनबद्धता को बढ़ावा देना।

14.    उद्योग डिजाइन किए गए गुणवत्ता कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए बड़ी संख्या में युवाओं को सक्षम करना ताकि युवा रोजगारपरक बनें और अपनी आजीविका अर्जित करें।

15.    मौजूदा कार्यबल की उत्पादकता में वृद्धि, और देश की वास्तविक जरूरतों के साथ कौशल प्रशिक्षण संरेखित करना।

16.    प्रमाणन प्रक्रिया के मानकीकरण को प्रोत्साहित करें और कौशल की एक रजिस्ट्री बनाने के लिए नींव रखें।

17.    चार साल Ľ2016&2020˝ की अवधि में 10 मिलियन युवाओं को लाभान्वित करें।

18.    हितधारकों (Stakeholders) की आवश्यकताओं की एक विस्तृत श्रृंखला को विशेषताओं के प्रत्युत्तर में लोचशील वितरण तंत्रों की स्थापना करना।

19.    विभिन्न मंत्रालयों, केन्द्र तथा राज्यों एवं सार्वजनिक और निजी प्रदाताओं के मध्य प्रभावी समन्वय सम्भव बनाना।

 

शोध परिकल्पनाएँ:-

कौशल विकास योजना के कथित उद्देश्यों और अध्ययन के उद्देश्यों के खिलाफ निम्नलिखित परिकल्पना प्रासंगिक है जो तैयार की गई है। शीर्षक से सम्बन्धित शोधार्थी की प्रमुख परिकल्पनायें निम्नलिखित है %&

·         योजनाओं का लाभ हितग्राहियो को प्राप्त हो रहा है।

·         हितग्राहियों के आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में सुधार हो रहा है।

·         वर्तमान वित्तीय प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है।

·         फैजाबाद (अयोध्या) जिले में योजनान्तर्गत विकास हो रहा है।

·         योजनाओं में लक्ष्य एवं प्राप्ति के अनुपात मंे अन्तर है।

·         रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो रही है।

·         लाभार्थियों के रोजगार और आय पर कौशल विकास योजना का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

·         निम्न आय के बजाय उच्च गतिविधि आय लाभार्थियों को नियमित रूप से ऋण किस्तों को चुकाने के लिए प्रेरित करती है।

·         कौशल विकास योजना का प्रभाव वैसा नहीं है जैसा कि उद्योग, सेवाओं और व्यावसायिक क्षेत्रों के बीच है।

·         कौशल विकास योजना का रोजगार के अवसरों के सृजन में योगदान आम तौर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खराब और गैर-समान है।

 

कौशल विकास और बजट:

केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का बजट वर्ष 2017-18 में विगत बजट से 2.5 गुना अधिक राशि खर्च करके 17,000 करोड़ रू. रहा। वर्ष 2018-19 में 2820 करोड़ रू. था, वर्तमान वर्ष 2019-20 में यह बढ़ाकर 2989 करोड़ रू. किया गया है। बजट से संबंधित कौशल विकास के सरकारी प्रयास इस प्रकार है-

1. प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र (PMKK) का वर्तमान में 60 जिलों में संचालन हो रहा है जिसे 600 जिलों में आरंभ करने की योजना है।

2. देश में 100 भारतीय अंतरराष्ट्रीय कौशल केन्द्र आरंभ करना जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण देना तथा विदेशी भाषा सिखाने की व्यवस्था करना।

3. संकल्प (SANKALP - Skill Acquisition and Knowledge Awarness for Livelihood Promotion Programme) आरंभ करना जिसके लिए 4000 करोड़ रू. व्यय किए जायेंगे। जिसमें बाजार संबंधित अनुकूल प्रशिक्षण देना जिससे 3.5 करोड़ युवाओं को लाभान्वित करना।

4. औद्योगिक मूल्य विस्तार के लिए कौशल सशक्तिकरण STRIVE (Skill straightening for Industrial Value Enhancement) का दूसरा चरण लागू करना जिसके लिए 2200 करोड़ रू. की लागत होगी। इसमें औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ;प्ज्प्ेद्ध द्वारा गुणवत्ता वृद्धि एवं बाजार प्रासंगिकता के अनुरूप व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य है। इससे युवा वर्ग की कुशलता में वृद्धि होगी और उद्योगों को कुशल श्रमशक्ति उपलब्ध होगी।

5. चमड़ा, जूते चप्पल तथा कपड़ा उद्योग में रोजगार बढ़ाने के लिए विशेष योजना बनायी है। कपड़ा उद्योग का देश में रोजगार प्रदान करने वाला दूसरा बड़ा क्षेत्र (कृषी क्षेत्र के पश्चात) है जहां 33-35 मिलीयन लोगो को रोजगार प्राप्त हो रहा है जिसे इस योजना के तहत 2022 तक बढ़ाकर 60-62 ग्रामीण मीलियन रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य है।

6. ग्रामीण क्षेत्र में कौशल विकास के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना के प्रसार के लिए 4500 करोड़ रू. का आवंटन किया है।

7. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम PMEGP (PM's employment generation Programme) के बजट में 3 गुना अधिक राशि का प्रावधान करना, जिससे कुशल मानव संसाधन का उपयोग किया जा सके।

8. ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास के लिए मिस्त्री-कारीगर प्रशिक्षण कार्यक्रम में 5 लाख लोगो को वर्ष 2022 तक प्रशिक्षण देना।

9. तकनीकी विकास करना जिससे नए युवा वर्ग को नए स्टार्टअप करने में सहायता करना।

10. अति वेगवान ब्राडबैंड की सुविधा 1.5 लाख गाँवों तक पहुचाना।

 

इसके अलावा केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आजिविका योजना है, जो कौशल विकास और रोजगार बढ़ाने में पहल कर रही है। जिसका उद्देश्य है, बिना किसी औपचारिक शिक्षा के युवाओं को विशिष्ट ज्ञान और कौशल प्रदान करना जो उन्हें शीघ्र रोजगार दे सके। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 1500 करोड़ रूपये का प्रतिवर्ष प्रावधान छत्स्ड ;छंजपवद त्नतंस स्पअमसपीववक डपेेपवदद्ध में किया है जिससे गरीबी की रेखा के नीचे युवाओं में कुशलता के विभिन्न प्रशिक्षण दिया जायेगा। कुल 73 कौशल विकास की योजनाएॅ भारत सरकार के 20 मंत्रालयों द्वारा अमल में लायी जा रही है।

 

समस्याएँ:

1.      कुशल मानव संसाधन का अभाव:

जहां निर्माण कार्य शुरू है वहां कुशल बढ़ई, वेल्डर इलेक्ट्रीशियन का अभाव है, विभिन्न औद्योगिक, ईकाईयों में जैसे गोदाम और लाॅजिस्टिक फेब्रीकेशन आदि में कुशल और प्रशिक्षित श्रमिकों की संख्या कम है।

 

2. कार्यसंस्कृति का अभाव:

विभिन्न औद्योगिक इकाईयां अपने मानव संसाधनों से जिस प्रकार की कार्य संस्कृति (Work Cultural) की अपेक्षा रखती है, वह उन्हें श्रमिकों में दिखायी नही देती है।

 

3.  आकर्षक औद्योगिक नीति का अभाव:

कुशल मानव संसाधनों को उद्योग ही रोजगार देते है, किंतु उद्यमी और प्रबंधक यह महसूस करते है कि जिले के लिए औद्योगिक नीति अपनी मित्रतापूर्ण और अनुकूल अथवा प्रोत्साहनपूरक नही है।

 

4.    उचित पारिश्रमिक का अभाव:

कुशल श्रमशक्ति के लिए पारिश्रमिक कम होने की शिकायते कुशल श्रमिक करते दिखायी देते है।

 

5.    काम देनेवाले और काम माँगनेवाले के बीच कड़ी का अभाव:

कुशल मानव संसाधन एवं औद्योगिक ईकाई को जोड़ने वाली रोजगार विनिमय कार्यालय (Employment Exchange Centre) पूर्णतः सुस्त (ढ़ीला) है।

रोजगार निर्माण करनेवाले अन्य विभिन्न क्षेत्र वित्तीय, बैंकिंग, बीमा, खाद्य संस्करण, सूचना तकनीकी (IT), रेडिमेड कपडे, हाॅस्पिीटीलिटी, संचार माध्यम, मीडिया, यातायात आदि जिले में कार्यरत है, जहाॅ कुशल एवं प्रशिक्षित मानव संसाधनों की आवश्यकता है।

उपरोक्त प्रकार की समस्याएॅ संपूर्ण देश में व्याप्त है।

सुझाव:

1.     ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार के अधिकाधिक अवसर निर्माण किए जाने चाहिए।

2.     अधिकाधिक ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रम से प्रशिक्षित एवं लाभान्वित करना चाहिए।

3.     कुशल एवं प्रशिक्षित लोगों के वास्तविक आंकडों की जानकारी मंत्रालय में होनी चाहिए।

4.     कौशल केन्द्रों की गतिविधियों की अधिकतम प्रभावी बनना चाहिए।

5.     सरकारी बजट का ईमानदारी से उपयोग एवं पूरा व्यय किया जाना चाहिए।

6.     युवा वर्ग को कौशल विकास के आगे आने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

7.     विशेषतः आधुनिक तकनीकी जानकारी एवं उसका उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाये।

8.     निजी उद्यमियों को प्रत्येक जिलों में उद्यम एवं व्यावसायिक ईकाईयाॅ स्थापित करने के लिए सरकारी सहायता एवं प्रोत्साहन दिया जाए।

9.     लैंगिक समानता के सिद्धांत के अनुसार युवतियों एवं महिलाओं को कौशल विकास के अवसर अधिक प्रदान किए जाये।

10.    विद्यालयीन स्तर पर कौशल आधारित आधारभूत अभ्यासक्रम से संबंधित शिक्षा तथा विषयों में इसे शामिल किया जाये।

11.    प्रशिक्षण प्राप्त अनुभवी युवाओं को अपना स्वयं का व्यवसाय करने के लिए सहायता एवं प्रोत्साहन दिया जाए।

12.    ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक ईकाई आरंभ करने वाले उद्यमियों के लिए कडे़ सरकारी नियम प्रावधानों को उदार बनाना चाहिए।

13.    ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होने वाले उद्यमों में स्थानीय युवा वर्ग को नौकरियों में प्राथमिकता एवं अधिक स्थान देने चाहिए।

14.    कौशल विकास प्रशिक्षणार्थियों को सरकार द्वारा स्काॅलरशीप/स्टायफंड देना चाहिए।

15.    प्रत्येक प्रशिक्षणार्थियों को पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदुषण नियंत्रण का महत्व संबंधि जानकारी दी जाये।

16.    ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कच्चे माल और संसाधनों का उपयोग के तरीकों की जानकारी दी जाये।

17.    कौशल विकास प्राप्त व्यक्तियों को उसके काम का उचित पारिश्रमिक दिया जाये।

18.    कुशल व्यक्ति द्वारा निर्माण की गई वस्तुओं के विक्रय के लिए बाजार उपलब्ध करना एवं उचित प्रदान किया जाए।

19.    कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों द्वारा कुशल प्रशिक्षित व्यक्तियों के लिए बनायी गयी सभी योजनाओं, कार्यक्रमों एवं गतिविधियों में समन्वयक भूमिका निभाकर समन्वय स्थापित करना चाहिए।

20.    कुशल व्यक्ति द्वारा निर्मित वस्तुओं के लिए देशभर में विक्रय की व्यवस्था निर्माण हो।

21.    वस्तुए निर्यात करने के लिए सरकारी एजेंसी ने मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहिए।

 

निष्कर्ष:

कौशल विकास भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, इसके लिए विशेष मंत्रालय बनाया गया है। बजट में हर वर्ष बड़ी धन राशि का प्रावधान किया गया है। युवा भारत को रोजगार निभाने में कौशल विकास ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सकता है। सरकार केंन्द्र ग्रामीण विकास और रोजगार उपलब्ध कराने में गति लाने के साथ निजी व्यावसायिक संस्थाओं के प्रयासो की भी आवश्यकता हे। कौशल विकास और उद्यमिता में एकात्मकता लाने की सरकार का प्रयत्न प्रशंसनीय है। किन्तु वास्तविक रूप में इस योजना को लागू करने की राह में देश की परंपरागत सोच, अधिकारियों की उदासीनता, भ्रष्टाचार केवल विज्ञापन की अधिकता, बड़ी बाधा है, अन्यथा यह योजना का सफल होना युवाशक्ति का शानदार उपयोग होगा जो युवा वर्ग को क्षमतावान, सामथ्र्यवान बनाने के साथ उन्हें जिविकोपार्जन का साधन उपलब्ध करायेगा, जो देश की आय वृद्वि में प्रमुख साधन बनेगा।

 

संदर्भ:

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2.       डाॅ. डी.एन. चतुर्वेदी, डाॅं. पी.सी. सिन्हा, आर्थिक शोध के तल, लोक भारती प्रकाशन 1979

3.       कटरिया रस्तागी, सांख्यिकी सिद्धान्त एवं व्यवहार पब्लिकेशन मेरठ 1988-89

4.       एस.के. मिश्रा बी.के. पुरी, भारतीय अर्थव्यवस्था, हिमालय पब्लिशिंग हाउस 2007

5.       शर्मा वीरेन्द्र प्रकाश, रिसर्च मेथडोलांजी, पंचशील प्रकाशन जयपुर 2004

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7.       जैन, डाॅ. एम.के., शोध विधियाँ, यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन नई दिल्ली, 2006

8.       डाॅ. चतुर्भुज मामोरिया भारत की आर्थिक समस्याएँ, साहित्य भवन पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूट्स 2007-08

9.       डाॅ. .पी. शर्मा, भारत में नियोजित विकास और आर्थिक उदारीकरण, रामप्रसाद एण्ड संस 2002-03

10.    उत्तरप्रदेश की आर्थिक सर्वेक्षण - आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय, .प्र. 2017-18

11.    उत्तरप्रदेश की आधारभूत कृषि सांख्यिकी आयुक्त, भू अभिलेख एवं बन्दोबस्त, .प्र. ग्वालियर 2011

12.    उद्यमी, उद्योग और स्वरोजगार - चतुर्थ संस्करण उद्यमिता केन्द्र .प्र 2009

13.    भारत की जनगणना - जनसंख्या के अनंतिम आंकड़े, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा 2001

14.    Patel L. & Shah Nimish (2014), “India's Skills Challenge: Reforming Vocational Education and Training to Harness the Demographic Dividend”. ISBN-10: 0199452776, ISBN-13: 978-0199452774.

15.    Shrivastava P., Techno-Vocational Skills Acquisition and Poverty Reduction Strategies, ISBN13: 9783659363672 ISBN10: 3659363677, Publisher: LAP

16.    जिला उद्योग केन्द्र द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट, फैजाबाद (अयोध्या) (.प्र.)

17.    The Apprentices Act, 1961,  

18.    www.indiabudget.nic.in,Available:http://indiabudQet.nic.in/ub2017-1filbhibh1.pdf

19.    Census 2001, Available: http://www.censusindia.gov.in/Census_Data_2001/ India

20.    Census 2011, Available: http://www.censusindia.gov.in/2011- common/census_ 2011.html

21.    Twelfth Five Year Plan, Planning Commission, Government of India, Volume 1 - Volume 3, 2013.

22.    World Bank Report, Available: http://siteresources.worldbank.org/ ESSD NETWORK JReso urces/ Roadto2050Partl.pdf

23.    FICCI-KPMG report, "Re-engineering the skill ecosystem", Available: http://ficci inispd.ocumen t/20762/Re-engineering-the-skit I ecosystem.pdf.

24.    https:/insdcindia.orgisitesidefault/files/filesimaha-sg-reports .pdf

 

 

 

Received on 19.12.2022         Modified on 03.01.2023

Accepted on 12.01.2023        © A&V Publications All right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2022; 10(4):145-152.